Nirmal singh bhangoo biography of barack obama
नहीं रहे पर्ल ग्रुप के मालिक निर्मल सिंह भंगू, 5 करोड़ लोगों को ठग कर बनाया था अरबों साम्राज्य, कभी बेचा करते थे दूध
Hindi Newsपंजाब न्यूज़Pearl Group owner Nirmal Singh Bhangoo is no more had conceived billions worth empire by cheat 5 crore people
- पर्ल्स ग्रुप के मालिक निर्मल सिंह भंगू की मौत हो गई है। जानकारी के अनुसार दिल्ली की जेल में तबीयत खराब होने के बाद भंगू को दीन दयाल उपाध्याय हॉस्पिटल में भर्ती करवाया था।
Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानSun, 25 Aug 2024 10:54 PM
चिटफंड कंपनी पीएसीएल यानी पर्ल्स ग्रुप से देश के करीब 5 करोड़ लोगों को 50 हजार करोड़ का चूना लगाने वाले निर्मल सिंह भंगू की मौत हो गई है। जानकारी के अनुसार दिल्ली की जेल में तबीयत खराब होने के बाद भंगू को दीन दयाल उपाध्याय हॉस्पिटल में भर्ती करवाया था, जहां उसकी मौत हो गई। पीजीएफ लिमिटेड के प्रबंध निदेशक निर्मल सिंह भंगू को पीजीएफ/पीएसीएल लिमिटेड द्वारा संचालित चिट फंड घोटाले में 8 जनवरी, 2016 को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। वह अभी जेल में ही था।
पर्ल्स ग्रुप का मालिक निर्मल सिंह भंगू पंजाब के बरनाला जिले का रहने वाला था। वह शुरू में साइकिल से दूध बेचता था। इसके बाद नौकरी की तलाश में 70 के दशक में कोलकाता चला गया। वहां उसने एक इन्वेस्टमेंट कंपनी पियरलेस में कुछ साल काम किया। उसके बाद इन्वेस्टर्स से करोड़ों की ठगी करने वाली हरियाणा की कंपनी गोल्डन फॉरेस्ट इंडिया लिमिटेड में काम करने लगा। इस कंपनी बंद होने के बाद निर्मल सिंह बेरोजगार हो गया लेकिन इस दौरान उसने चिटफंड के नाम पर लोगों को ठगने का अच्छा-खासा हुनर सीख लिया था। उसने 1980 में पर्ल्स गोल्डन फॉरेस्ट (पीजीएफ) नाम की कंपनी बनाई, जो लोगों से सागौन जैसे पेड़ों के प्लांटेशन पर इंवेस्टमेंट कर अच्छा मुनाफा लौटाने का वादा करती थी। 1996 तक इससे उसने करोड़ों रुपए जुटा लिए थे लेकिन इनकम टैक्स और दूसरी जांचों के चलते उसे इस कंपनी को बंद करना पड़ा।
मोटा मुनाफा देने का लालच देकर करोड़ों रुपए निवेश करवाए
निर्मल सिंह भंगू ने 1996 में पीएसीएल नामक रियल एस्टेट कंपनी बनाई और फिर इसे निवेश स्कीम में बदल दिया। लोगों को मोटा मुनाफा देने का लालच देकर करोड़ों रुपए निवेश करवाए और देखते ही देखते 5 करोड़ भोले-भाले निवेशकों ने 50000 करोड़ रुपए का निवेश करवा लिया। पीएसीएल करीब 30 लाख एजेंटाें से अपना धंधा चलाती थी। इसी धोखाधड़ी से भंगू ने अरबों रुपए का साम्राज्य खड़ा कर लिया। आज देश के लगभग हर छोटे-बड़े शहरों में भंगू की अरबों की संपत्तियां हैं। ऑस्ट्रेलिया और अन्य जगह भी उसकी बेशकीमती संपत्ति है।
रियल स्टेट कंपनी होकर भी निवेश फर्म की तरह काम
इसी दौरान पर्ल ग्रुप भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की नजरों में आ गया। सेबी ने अपनी जांच में पाया कि पीएसीएल ने निवेशकों को धोखा देकर उनसे करीब 50 हजार करोड़ रुपए योजना के नाम पर लिए हैं। रियल एस्टेट कंपनी होने के बावजूद चिट फंड कंपनी के रूप में काम करना सेबी को संदिग्ध लगा। सेबी की जांच के खिलाफ पीएसीएल कोर्ट कोर्ट चली गई। कोर्ट में 8 साल तक मामला चला लेकिन तब तक पीएसीएल का कारोबार कई गुना तक बढ़ चुका था। साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने पीएसीएल के खिलाफ फैसला सुनाया और एक झटके में निवेशकों के करोड़ों रुपए डूब गए। निर्मल सिंह भंगू के पर्ल ग्रुप का घोटाला खुलने के बाद यह 50000 करोड रुपए का फर्जीवाड़ा निकला। इसके बाद मामले में ईडी की एंट्री हुई और ईडी ने भंगू की देश-विदेश की प्रॉपर्टी जब्त कर ली। भंगू ने लोगों से हजारों करोड़ रुपये इकट्ठा करके विदेशों में लगाए थे।
ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज क्रिकेटर ब्रेट ली को किया था विज्ञापन के लिए साइन
निर्मल सिंह भंगू ने राजनीतिज्ञों और फिल्म स्टार के साथ नजदीकी बढ़ाई। पीएसीएल ने आईपीएल और विश्व कबड्डी टूर्नामेंट को भी स्पॉन्सर किया और न्यूज चैनल भी शुरू किया। ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज क्रिकेटर ब्रेट ली को विज्ञापन के लिए साइन किया। चिट फंड घोटाले में 8 जनवरी, 2016 को सीबीआई ने भंगू सहित कंपनी के चार अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। 14 सितंबर, 2023 को पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने पर्ल्स ग्रुप के मालिक भंगू की पत्नी प्रेम कौर भीगिरफ्तार कर लिया। वह काफी समय से केस की जांच में शामिल न होकर गिरफ्तारी से बचती आ रही थी। उसे पीएसीएल लिमिटेड से संबंधित संपत्तियों को हड़पने के मामले में नामजद किया गया था। यह केस तीन साल पहले थाना सिटी जीरा फिरोजपुर में दर्ज किया गया था। आरोप है कि उसने राज्य में पीएसीएल व पीजीएफ की सहायक व समूह कंपनियों के बारे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विपरीत अपने नजदीकियों को उन्हें बेचने के लिए अधिकृत किया था।
निवेशकों के अब भी करोड़ों रुपए फंसे
सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आरएस लोढ़ा की अगुवाई में पीएसीएल लिमिटेड की संपत्तियों की पहचान करने और उनकी बिक्री से प्राप्त आय को उन निवेशकों को वापस करने के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया गया था। इसकी सिफारिश पर निवेशकों को पैसे वापस भी दिए गए। जिन लोगों के पास पीएसीएल में निवेश के दस्तावेज हैं, उनमें से कुछ लोगों को पैसे वापस किए गए हैं और बहुत से लोगों को पैसे वापस किए जाने बाकी हैं।